प्रिय पाठको आज हम इस पोस्ट के माध्यम से RAJASTHAN PUBLIC SERVICE COMMISSION के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे | इसकी स्थापना, कार्यक्षेत्र, शक्तियों, कार्य प्रणाली, संवैधानिक प्रावधानों तथा विशेष तथ्यों बारे में आज step by step विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे |

RPSC KYA HAI। RPSC क्या है ?
- केंद्र में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के समांतर, राज्य में एक राज्य लोक सेवा आयोग (एसपीएसएस) है। RAJASTHAN PUBLIC SERVICE COMMISSION (RPSC) राजस्थान सरकार का एक आयोग है, जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करता है। इसके माध्यम से राजस्थान प्रशासनिक सेवा (R.A.S.), राजस्थान पुलिस सेवा (R.P.S) तथा राजस्थान तहसीलदार सेवा (R.T.S) में उतीर्ण अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है। इसका मुख्यालय अजमेर में स्थित है।
- संविधान के भाग 14 में अनुच्छेद 315 से 323 एक एसपीएसएस की संरचना नियुक्ति और सदस्यों को हटाने और शक्ति कार्य और स्वतंत्रता से संबंधित है।
- राजस्थान में एसपीएसएस को राजस्थान लोक सेवा आयोग आरपीएससी कहा जाता है।
- 1919 के भारत सरकार अधिनियम ने एक केंद्रीय लोक सेवा आयोग के लिए प्रावधान किया जिसके बाद 1926 में एक आयोग का गठन किया गयाऔर सिविल सेवकों की भर्ती का काम सोपा गया।
- 1935 में भारत सरकार अधिनियम ने केवल एक संगीत लोक सेवा आयोग बल्कि एक प्रांतीय लोक सेवा आयोगऔर संयुक्त लोक सेवा आयोग राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त की स्थापना के लिए भी प्रावधान किया गया।
- वर्ष 1923 में ली कमिशन ने भारत में एक संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की सिफारिश की थी किन्तु इस कमिशन ने प्रांतो में लोक सेवा आयोगों की स्थापना के बारें में कोई विचार नहीं किया । क्योंकि सभी प्रांत सरकार आवश्यकतानुसार नियुक्तियां करने व राज्य सेवा नियम बनाने हेतु स्वतंत्र थी। राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना दिनांक 22 दिसम्बर, 1949 को हुयी थी । सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर जयपुर से अजमेर स्थानांतरित किया गया था।
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RPSC से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद 315 | संघ और राज्य के लिए लोक सेवा आयोग । |
अनुच्छेद 315(2) | दो या अधिक राज्य यह करार कर सकेंगे कि राज्यों के उस समूह के लिए एक ही लोक सेवा आयोग। |
अनुच्छेद 317 | लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य का हटाया जाना और निलंबित किया जाना। |
अनुच्छेद 318 | आयोग के सदस्यों और कर्मचारियों की सेवा की शर्तों के बारे में विनियम बनाने की शक्ति। |
अनुच्छेद 319 | आयोग के सदस्यों द्वारा ऐसे सदस्य ना रहने पर पद धारण करने के संबंध में प्रतिषेध। |
अनुच्छेद 320 | लोक सेवा आयोग के कर्तव्य। |
अनुच्छेद 321 | लोक सेवा आयोग के कर्तव्यों में वृद्धि। |
अनुच्छेद 322 | लोक सेवा आयोग के व्यय। |
अनुच्छेद 323 | लोक सेवा आयोग के प्रतिवेदन । |
संरचना अनुच्छेद 316
- राज्यपाल द्वारा नियुक्त अध्यक्ष और अन्य सदस्यों से मिलकर बनता है।
- कोई अन्य योग्यता नहीं; सिवाय इसके की ½ सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जो अपनी संबंधित नियुक्तियों की तिथि पर भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कम से कम 10 वर्षों तक पद पर रहे है।
- कार्यकाल- 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु।
- इस्तीफा- राज्यपाल को संबोधित।
निष्कासन और निलंबन अनुच्छेद 317
- भले ही राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं लेकिन इन्हें केवल राष्ट्रपति ही हटा सकता है (राज्यपाल नहीं)।
- राष्ट्रपति उन्हें उसी आधार पर हटा सकते हैं जिन आधारों पर यूपीएससी की अध्यक्ष और सदस्यों को हटाया जाता है।
- अतः उन्हें निम्नलिखित आधारों पर हटाया जा सकता है –
- अगर उसे दिवालिया घोषित कर दिया जाता है या
- अपने पदावधि के दौरान अपने पद के कर्तव्यों के बाहर किसी संवेतन नियोजन में लगा हो, या
- अगर राष्ट्रपति यह समझता है कि वह मानसिक या शारीरिक शैथिल्य के कारण पद पर बने रहने के योग्य नहीं है।
- इसके अलावा राष्ट्रपति राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या अन्य सदस्यों को उनके सदाचार के कारण भी हटा सकता है किंतु ऐसे मामलों में राष्ट्रपति इसे उच्चतम न्यायालय को संदर्भित करता है।
- यदि उच्चतम न्यायालय जांच के बाद उन्हें बर्खास्त करने या दी गई सलाह का समर्थन करता है तो राष्ट्रपति अध्यक्ष व अन्य सदस्य को हटा सकता है।
- संविधान के अनुसार उच्चतम न्यायालय द्वारा इस मामले में दी गई सलाह राष्ट्रपति के लिए बाध्य है।
- राज्यपाल द्वारा दी जा रही जांच के दौरान राज्यपाल अध्यक्ष व अन्य सदस्यों को निलंबित कर सकता है।
- इस संदर्भ में संविधान सदाचारी शब्द को परिभाषित करता है।
- संविधान के अनुसार, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्यों को कदाचार का दोषी माना जाएगा, अगर वह
- भारत सरकार या राज्य सरकार की किसी संविदा या करार से संबंधित या इच्छुक हो।
- निगमित कंपनी के सदस्य और कंपनी के अन्य सदस्यों के साथ सम्मिलित रूप से संविदा या करार में लाभ के लिए भाग लेता है।
स्वतंत्रता
- संघ लोक सेवा आयोग की तरह ही संविधान में RAJASTHAN PUBLIC SERVICE COMMISSION के निष्पक्ष स्वतंत्र कार्य करने के लिए निम्नलिखित उपबंध है –
- राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्यों को राष्ट्रपति संविधान में वर्णित आधारों पर ही हटा सकता है। अतः उन्हें पदावधि तक काम करने की सुरक्षा है।
- अध्यक्ष या सदस्य की सेवा की शर्तें राज्यपाल तय करता है अतः नियुक्ति के बाद उसमें अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
- राज्य लोकसभा आयोग के अध्यक्ष या सदस्यों को वेतन,भत्ता व पेंशन सहित सभी खर्च राज्य की संचित निधि से मिलते हैं।
- अतः राज्य की विधानमंडल द्वारा इस पर मतदान नहीं होता है।
- राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष कार्यकाल के बाद संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य तथा किसी अन्य राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनने का पात्र होता है, लेकिन भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार की अधीन किसी और नियोजन (नौकरी) का पात्र नहीं होता है।
- RAJASTHAN PUBLIC SERVICE COMMISSION का सदस्य कार्यकाल के बाद संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या सदस्य बने या उस राज्य लोक सेवा आयोग या अन्य राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त होने का पात्र होगा परंतु भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार की अधीन नियोजन का पात्र नहीं होगा।
- RAJASTHAN PUBLIC SERVICE COMMISSION के अध्यक्ष या सदस्य कार्यकाल के बाद को पुनः नियुक्त नहीं किया जा सकता यानी दूसरे कार्यकाल की योग्य नहीं।
एसपीएससी (आरपीएससी) की शक्तियां और कार्य
- राज्य लोक सेवा आयोग राज्य के संबंध में उन सभी कार्यों को करता है जो केंद्रीय सेवाओं के संबंध में यूपीएससी करता है-
- यह राज्य की सेवा में नियुक्तियों के लिए परीक्षा आयोजित करता है ।
- कार्मिक प्रबंधन से संबंधित निम्नलिखित मामलों परामर्श किया जाता है।
- सिविल सेवाओं और सिविल पदों के लिए भर्ती के तरीकों से संबंधित सभी मामले।
- सिविल सेवा और पदों पर नियुक्तियां करने और पदोन्नति और एक सेवा से दूसरी सेवा में स्थानांतरण करने में पालन किए जाने वाले सिद्धांत।
- एक सेवा से दूसरी सेवा में पदोन्नति और स्थानांतरण के लिए सिविल सेवाओं और पदों पर नियुक्तियों के लिए उम्मीदवारों की उपयुक्तता और स्थानांतरण या प्रतिनियुक्ति द्वारा नियुक्ति।
- संबंधित विभाग पदोन्नति के लिए सिफारिश करते हैं और एसपीएससी से उनकी पुष्टि करने का अनुरोध करते है।
- सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि अगर सरकार इन मामलों में राज्य लोक सेवा आयोग से परामर्श करने में विफल रहती है, तो पीड़ित लोकसेवक के पास अदालत में कोई उपाय नहीं है।
राजस्थान लोक सेवा आयोग आरपीएससी विशिष्ट तथ्य
- राजस्थान लोक सेवा आयोग का अभूतपूर्व इतिहास है।
- वर्ष 1923 में ली कमिशन ने भारत में एक संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की सिफारिश की थी किन्तु इस कमिशन ने प्रांतो में लोक सेवा आयोगों की स्थापना के बारें में कोई विचार नहीं किया।
- प्रांतीय सरकार अपनी आवश्यकतानुसार नियुक्तियां करने व राज्य सेवा नियम बनाने हेतु स्वतंत्र थी।
- राजस्थान राज्य केगठन के समय कुल 22 प्रति में से मात्र 3 प्रांत जयपुर, जोधपुर एवं बीकानेर में ही लोक सेवा आयोग कार्यरत थे।
- रियासतों के एकीकरण के पश्चात राजस्थान राजपत्र में दिनांक 20 अगस्त 1949 के प्रकाशन के अनुसार राजस्थान लोक सेवा आयोग अध्यादेश, 1949 प्रभाव में आया था।
- अध्यादेश की धारा 1(3) के मुताबिक उक्त अध्यादेश आगामी उस तिथि को प्रभाव में आना बता रखा है जिस तिथि को नियुक्ति बाबत नोटिफिकेशन का गजट में प्रकाशन होगा एवं 22 दिसंबर 1949 को राजपत्र में राजस्थान लोक सेवा आयोग अध्यादेश की धारा 1(3) की पालना में नोटिफिकेशन का गजट में प्रकाशन किया गया।
- अतः स्पष्ट है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग 22 दिसंबर 1949 को अस्तित्व में आया था अर्थात राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना 22 दिसंबर 1949 को हुई थी।
- राजस्थान लोक सेवा आयोग आरपीएससी मुख्यालय अजमेर में है।
- राज्य में योग्य लोक सेवकों की भर्ती करने के लिए सलाह देने हेतु संविधान के अनुच्छेद 315 के तहत राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना 20 अगस्त 1949 को जयपुर में की गई।
- राज्य पुनर्गठन के बाद सत्यनारायण समिति की सिफारिश पर लोक सेवा आयोग अजमेर स्थानांतरित कर दिया गया।
- आरंभिक चरण में आयोग में एक अध्यक्ष एवं दो सदस्य थे।
- राजस्थान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश सर एस के घोष को अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- तत्पश्चात् श्री देवी शंकर तिवारी एवं एन.आर. चांदोरकर की नियुक्ति सदस्य के रूप में एवं लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य श्री एस.सी त्रिपाठी आईएएस की नियुक्ति अध्यक्ष के रूप में की गई।
- वर्ष 1951 में आयोग के कार्यों को नियमित करने की उद्देश्य से राज प्रमुख द्वारा भारत के संविधान के अनुसार निम्न विनियम पारित किए गए –
- राजस्थान लोक सेवा आयोग की शर्तें नियम 1951 एवं
- राजस्थान लोक सेवा आयोग कार्यों की सीमा नियम 1951
- लोक सेवा आयोग के द्वारा संपादित किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्यों एवं उनकी निष्पक्ष कार्य प्रणाली के कारण भारतीय संविधान में इनका महत्वपूर्ण स्थान है।
- अनुच्छेद संख्या 16, 234, 315 से 323 तक विशेष रूप से लोक सेवा आयोग के कार्य एवं अधिकार के क्षेत्र के संबंध में है।
- आरपीएससी अपना वार्षिक प्रतिवेदन राजस्थान के राज्यपाल को प्रस्तुत करता है।
- लोक सेवा दिवस प्रतिवर्ष 21 अप्रैल को मनाया जाता है।
- राजस्थान लोक सेवा आयोग की कार्यप्रणाली राजस्थान लोक सेवा आयोग नियम एवं विनियम 1963 तथा राजस्थान लोक सेवा आयोग (विनियम एवं प्रक्रिया का सत्यापन अध्यादेश 1975 और अधिनियम 1976) के द्वारा तय की जाती है।
- वर्तमान में राजस्थान लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष एवं सात सदस्य है।
- यह पद संवैधानिक है एवं राज्य के महामहिम राज्यपाल की आज्ञा से इन पदों पर नियुक्त की जाती है।
- भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को आयोग सचिवालय में सचिव के पद पर नियुक्त किया जाता है ।
रचना | आयोग में एक अध्यक्ष तथा 7 सदस्य होते हैं। |
कार्य समय | आयोग अध्यक्ष एवं सदस्य अधिकतम 6 वर्ष या 62 वर्ष की उम्र जो भी पहले हो, के लिए आयोग में कार्यरत रहते हैं |
- सचिव द्वारा समस्त प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्यों का निष्पादन किया जाता है।
- सचिव की सहायता के लिए उपसचिव तथा परीक्षा नियंत्रक होते हैं।
RPSC क्या है और इसका क्या कार्य है?
RPSC (राजस्थान लोक सेवा आयोग) राजस्थान सरकार की एक आयोग है, जो राज्य के विभिन्न प्रशासनिक पदों के लिए भर्ती परीक्षाएं आयोजित करती है और योग्य उम्मीदवारों का चयन करती है।
मैं RPSC की परीक्षाओं के लिए आवेदन कैसे कर सकता/सकती हूं?
आप RPSC की आधिकारिक वेबसाइट (rpsc.rajasthan.gov.in) पर जाकर ऑनलाइन आवेदन पत्र भर सकते हैं। आवेदन करने से पहले पात्रता मानदंड अवश्य जांच लें।
राजस्थान लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए पात्रता मानदंड क्या हैं?
पद के अनुसार पात्रता भिन्न होती है, लेकिन सामान्यत: इसमें शामिल हैं:
आयु सीमा: आमतौर पर 18–40 वर्ष (आरक्षित वर्ग के लिए छूट)।
शैक्षणिक योग्यता: मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक (विशिष्ट पद के लिए अलग-अलग योग्यता हो सकती है)।
आयु सीमा: आमतौर पर 18–40 वर्ष (आरक्षित वर्ग के लिए छूट)।
शैक्षणिक योग्यता: मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक (विशिष्ट पद के लिए अलग-अलग योग्यता हो सकती है)।
राजस्थान लोक सेवा आयोग परीक्षाओं की चयन प्रक्रिया क्या है?
चयन प्रक्रिया मुख्यतः तीन चरणों में होती है:
प्रारंभिक परीक्षा (ऑब्जेक्टिव टाइप)।
मुख्य परीक्षा (विस्तृत/वर्णनात्मक)।
साक्षात्कार/दस्तावेज़ सत्यापन।
प्रारंभिक परीक्षा (ऑब्जेक्टिव टाइप)।
मुख्य परीक्षा (विस्तृत/वर्णनात्मक)।
साक्षात्कार/दस्तावेज़ सत्यापन।
RPSC परीक्षाओं का सिलेबस क्या है?
सिलेबस परीक्षा के प्रकार (जैसे RAS, स्कूल व्याख्याता) पर निर्भर करता है। इसमें सामान्य ज्ञान, राजस्थान से संबंधित विषय, योग्यता और विषय विशेष ज्ञान (विशेष पदों के लिए) शामिल होते हैं। विस्तृत सिलेबस RPSC की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
पिछले वर्ष के प्रश्न पत्र और अध्ययन सामग्री कहाँ से प्राप्त करें?
पिछले वर्ष के प्रश्न पत्र और अन्य संसाधन RPSC की आधिकारिक वेबसाइट, विभिन्न शैक्षणिक प्लेटफॉर्म्स, या RPSC कोचिंग सेंटर से प्राप्त किए जा सकते हैं।
RPSC परीक्षा के परिणाम कैसे देखें?
परीक्षा के परिणाम RPSC की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित होते हैं। आप अपने क्रेडेंशियल्स या रोल नंबर का उपयोग करके परिणाम देख सकते हैं।
बहुत ही बढ़िया ✌️😍
THANKS